बया और बंदर की कहानी

बया और बंदर की कहानी मूर्ख बन्दर को उपदेश

दोस्तों एक समय की बात है एक बार एक जंगल में बया पक्षी और बंदर एक ही वृक्ष पर बैठे हुए थे क्या होता है कि जाड़े का मौसम था बारिश हो रही थी लम्बे समय तक बारिश में भीगने के कारण बन्दर ठिठुर रहा था ठंड का प्रकोप बहुत ज्यादा था उसी वृक्ष पर बैठी बया पक्षी ने बंदर को ठिठुरते देख उसे नसीहत देने लगी कि:- बया और बंदर की कहानी

द्वै कर द्वै पग आहि तव दृष्यत पुरुष आकर।
शीत वात के घात हित क्यों नहीं करो आघार।।

भगवान ने तुम्हे कितना सुंदर मनुष्य के सदृश शरीर दिया है दो हाथ दिये दो पांव दिये इस ठंडे जाड़े से बसने के लिए अपने लिये एक छोटा सा घर क्यों नहीं बना लेता ताकि जाड़े के मौसम में उस में बैठकर तुम सुरक्षित रहते जब बया पक्षी ने इस प्रकार बंदर को यह उचित सलाह दी जो उसके हित थी मगर उसने बया का शुक्रिया करने की बजाय उल्टा उसपर बड़ा जोरदार कुपित हो गया और उसने बया को यह कहते हुए कि:- बया और बंदर की कहानी

शुशी मुख व्यभिचारीनी रन्डे पंडित रार।
नही बल निज गृह रचन में समरथ हत तव द्वार।।

बन्दर ने कहा सुई के जैसा तीखा सा मुह लिए हुए व्यभिचारिणी रंडी ब्राह्मणों की तरह शिक्षा दे रही है, मुझे घर बनाने का उपदेश दे रही है। अपने आप को बड़ी चतुर और मुझे मूर्ख समझ रही है चल मेरा घर बनाने की सामर्थ्य मेरे में नहीं है लेकिन अब बताता हूँ मैं क्या कर सकता हूँ।ऐसा कहते ही बन्दर ने बया के घोंसले पर जपटा मार कर उस नेक बया के घोंसले को तोड़कर नीचे चल रहे पानी के नाले में फेंक दिया बया को बड़ा दुख हुआ तब वह बया पक्षी कहने लगी कि:- बया और बंदर की कहानी

सीख वाकू दीजिये जाकू सीख सुहाय।
सीख ना दीजै बांदरा घर बया को जाय।।

जैसे एसे पुरुष को दे उपदेश ना सन्त।
मूर्ख कभी ना ग्रहण करी सटिका जो गृह वंत।।

जैसे कैसे पुरुष को उपदेश नहीं देना चाहिए क्योंकि मूर्ख व्यक्तियों को उपदेश देना व्यर्थ है जिस प्रकार मूर्ख बंदर को चट्टी का यानी बया पक्षी ने उत्तम राय दी लेकिन उस मूर्ख बंदर ने उस उत्तम शिक्षा को ग्रहण करने की बजाय उल्टा उस पर कुपित होकर के उसके घर को ही तोड़ कर फेंक दिया। बया और बंदर की कहानी

शिक्षा:–
जो अधिकारी नही है उसे अपनी अनमोल किमत्ती राय नहीं देनी चाहिए।

क्योंकि:–
जैसे सुंदर सुंदरी षोडश करे श्रृंगार।
तदपि निष्फल सब सही जो दृग बिना भरतार।।

जैसे रूपवान सुंदर स्त्री सम्पूर्ण सोलह श्रृंगार करके अपने अंध पति के सामने जाकर अंग प्रदर्शन भी करले किन्तु उसका वो सारा प्रदर्शन व्यर्थ होता है। बया और बंदर की कहानी

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