भजन
भक्तमति मीरा बाई जी का बहुत ही सुंदर काया ने सिणगार कोयलिया भजन lyrics
काया ने सिणगार कोयालिया पर मंडती मत जाईयो ऐ।
पर मडली रा नहीं रे भरोसा अध बिच में रुल जावो ऐ।।टेर।।
(1) खारे समन्द रो खारो पाणी वो पाणी मत लाईयो ऐ।
थोड़ो नीर घणो कर मानू नीर गंगा जल लाईजो ऐ॥
(2) गेरो गेरा फूल रोइड़े रो कईजे, वो फूलड़ो मत लाईजो ऐ।
छोटो फूल बड़ो कर मानू फूल हजारी गूल लाईजो ऐ॥
(3) उजड़ बन में उबो खेजड़ो, उण छायां मत जाईजो ऐ।
अगम पिछम रो बाजे बायरियो कांटा में रुल जावो ऐ ॥
(4) बाई मीरा ने गिरधर मिलिया उण मंडली भल जाइजो ऐ।
उण मंडली रा सांचा भरोसा डूबतड़ा तिर जावे ऐ ॥
भक्तमति मीराबाई तो साक्षात प्रेम की मूर्ति थी उनका तो परमात्मा में ऐसा प्रेम था की अंत समय में पत्थर में विलीन हो गई पत्थर बन गई
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