भजन
भक्तमति बाई सुवा जी का बहुत ही सुंदर भजन जोगीड़ा ने जादू कीनो भजन lyrics
जोगीड़े ने जादू कीनो रे, म्हारो तन मन बांधे लीनो रे।
रावलिया ने जादू कीनो रे, म्हारो तन मन बांधे लीनो रे।।
(1) रन दिवस म्हाने निंदरा नी आयें,घायल मृग ज्यू जीव दुःख पावे।
शब्द कटारी मारी रे म्हारी पिंजर घायल कीनो रे।।
(2) अन्न पाणी म्हाने कछु नी भावे पल पल छझीन याद सतावें।
दुनिया तो लागे खारी रे मैं तो प्रेम प्यालो भीनो रे।।
(3) विरह री अग्नि तन बिच लागी भेद भाव री भरमना भागी।
चढ गई प्रेम खुमारी रे म्हारो हृदय प्रेम सूं भीनो रे।।
(4) मोर मुकुट ओर गल बिच माला माने मिल गया नन्द जी री लाला।
बाई सुवा ने तारी रे मारो जन्म सफल कर लीन्हो रे।।
मित्रों वैसे तो हरि अनंत हरि कथा अनंता कहीं सुना ही बहु विधि सब संता परमात्मा की लीलाएं अनेक है तो मीराबाई की तरह यह भी एक भगतमती सुवा बाई हुई है जिन्होंने अपने प्रेम को अपने परमात्मा को जोगिड़ा शब्द से संबोधित करते हुए उन्होंने इस भजन को गाया है इस जोगिड़ भजन के माध्यम से उन्होंने अपना प्रेम जो परमात्मा के प्रति है उसको दर्शाया है वैसे मित्रों प्रेम की परिभाषा को तो कोई व्यक्त कर ही नहीं सकता लेकिन फिर भी हम कोशिश करेंगे इनके भाव को व्यक्त करने के लिए तो संपूर्ण ना करते हुए हम कुछ अंश बता रहे हैं जो व्यक्ति को किसी से प्रेम लगाव होता है तो उसके वियोग में व्यक्ति की क्या दशा होती है इसका भाव भक्तमति बाई सुवा ने बताया है।
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