भजन
भक्तमति राणी रूपादे जी का बोहत ही सुंदर मत कर भोली आत्मा भजन lyrics
मत कर भोली आत्मा
मत कर भोली आत्मा इण नुगरा रो संग ऐ।
नुगरा रे संग मांही नेक जमारो खोयो ऐ।।
सुवो सुवो जांण मैं तो पिंजरियो बणवायो रे।
करमा रे परताप सूं ओ कागा निकल आयो रे।।
सोना सोना जांण म्हे तो टेवटियो घड़ायो रे।
करमा रे परताप सूं ओ पितल निकल आयो रे।।
हीरो हीरो जांण म्हे तो अंगूठी में जड़वायो रे।
करमां रे परताप सूं ओ पत्थर निकल आयो रे।।
साधु साधु जाण म्हें तो आंगणियें जिमायो रे।
करमा रे परताप सू ओ ढोंगी निकल आयो रे।।
गावे रोनी रूपादे आ उमगसिंहजी चेली रे।
गुरा रे परताप सूं आ अमरापुर में खेली रे।
भक्तमति राणी रूपादे जी इस भजन के माध्यम से इस भोली आत्मा को समझा रहे हैं कि ये संसार एक भूल भुलैया का सपना है जो कभी पूरा नही होता उस मे एक बार फस गये तो निकलना बड़ा ही मुश्किल है इस लिए भक्त मति राणी रूपादे जी कह रहे हैं कि जो प्राणी गुरुमुखी नही है उनपर कभी स्वप्न में भी विश्वास मत करना अपनी संगती को हमेशा उच्चकोटि की रखो जो परमात्मा के सच्चे प्रेमी है उनसे अपना सम्पर्क रखो जो झूठे संसार की मोह माया की नींद में सो रहे हैं जगाने पर भी नहीं जाग रहे हैं जान बूझ कर सच को छोड़े बैठे हैं झूठ का साथ कर रहे हैं उन विषय विकारों में अपना जीवन नष्ट कर रहे हैं उनकी संगती तो स्वप्न में भी परमात्मा ना दे क्योंकि सब खेल संगती का जैसी संगत बैठिए तैसो ही फल होय जिस प्रकार स्वाति नक्षत्र में आसोज माह में वर्षा की बूंद गिरती है तो अलग अलग प्रभाव लाती है जैसे पपैये के लिए जीवन दायनी सीप के मुह में गिरे तो मोती सर्प के मुह में विष (हलाहल) केले पर गिरे तो कपूर भूमि पर गिरते ही अपना जीवन खो देती है उसी प्रकार जीवन में संगती का ही प्रभाव चल रहा है।
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