प्रेम रा मारग बंका रे भजन lyrics
जे हाले कोई प्रेम नाम से, दर्शन ज्यांका रे ॥ टेर ॥
ओ घर सन्तों प्रेम का ख्याली का घर नांय ।
शीश उतार धरे गुरू गुरू शरणे,
जद बैठे घर मांय सोच मन कायका शंका ॥ 1 ॥
प्रेम वायो ना निपसे, ना कोई घाट बिकाय ।
जो किसी के गरज वे तो, सिर चाटे ले जाय मिले मुक्ति का नाका ॥ 2 ॥
जोगी जंगम सेवड़ो, सन्यासी दरवेश ।
प्रेम बिना पहुंचे नहीं, दूर गुरा का देश शेष वर डंकर थाका रे ॥ 3 ॥
प्रेम रा प्याला जणे पिया, शीश दक्षिणा देत ।
लोभी शीश ना दे सके, नहीं प्रेम रा लेश नहीं प्रेम ज्यांका रे ॥ 4 ॥
प्रेम प्याला नाम रा पिया पिया अजगर रसाला ।
कबीर पीना कठिन है मांगे शीश कलाल घणे न राव न रंका रे ॥ 5 ॥