ले ले गुरासा री शरण lyrics । तिरण रो अवसर आयो रे

ले ले गुरासा री शरण lyrics

( सन्त श्री कबीर जी की वाणी )

ले ले गुरासा री शरण, तिरण रो अवसर आयो रे ।
अवसर आयो रे तिरण रो मौको पायो रे ॥ टेर ॥

शुभ इच्छा से मानुष तन पायो, अजब सोच मन में नहीं लायो रे ।
बनकर आयो नीदं नींद में कैसे सोयो रे ॥ 1 ॥

जो जीव री मुक्ति चावो, दस दोष ने दूर हटावो रे ।
पानी पहला पाल बाँध तु गाफल होयो रे ॥ १ ॥

चोरी जारी और जीव हत्या निन्दक मिथ्या कुड़ा भकया।
हर्ष- शोक अभिमान दोष युं, दस बतलाया रे ॥ 3 ॥

राजा रावण और शिशुपाला, जरासण बाणासुर भारी ।
अड़ा-अड़ा योद्धा गलया जमीन पर, पतो न पायो रे ॥ 4 ॥

यह दिन तेरा बित जाएगा, फिर चौरासी पायेगा।
सत्य निश्चय कर झूठ त्याग, मारग बतलायो रे ॥ 5 ॥

रामानन्द गुरू सत सत केवे, जाग जीव गुरू हेला देवे ।
कहत कबीर विचार, मानुष तन मुश्किल पायो रे ॥ 6 ॥

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