पानी में मीन प्यासी भजन lyrics
(संत कबीर साहेब जी की वाणी)
पानी में मीन प्यासी मोहे सुण सुण आवे हासी।।टेर।।
आत्मज्ञान बिना नर भटके कोई मथुरा कोई काशी।
जैसे मरगा नाभ कस्तूरी बन बन फिरत उदासी।।1।।
जल बिच कमल कमल विच कलियां तांपर भंवर निवासी।
सो मन बस त्रिलोक भया है सती जती सन्यासी।।2।।
ज्यांका ध्यान धरे विधि हरि हर मुनि जन सहस अठासी।
सो तेरा घट माही विराजे प्रेम पुरुष अविनाशी।।3।।
पानी में मीन प्यासी भजन lyrics
है हाजिर कोई दूर बतावे दूर की बात निरासी।
कहत कबीर सुनो भाई साधु गुरु बिन भ्रम न जासी।।4।।
ज्यादा पढ़ने के लिए कृपया यहाँ नीचे समरी पर क्लिक करें 👇
(1) पेला पेला देवरे गजानंद सिमरो
गिगन में जाए खड़ी प्रश्न उत्तर वाणी
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो ना कोई