बाज रही वीण मदरी भजन lyrics

( सन्त डुंगरपुरी जी की वाणी)
सहज धुन बाजे रही वीण मदरी, अखण्ड़ धुन बाजे रही वीण मदरी।।टेर।।
(1) ज्ञान ध्यान रा धोरा लागा, लागी सुरत तड़ी।
सतगुरू थारो वकमो मारग, आगे साकड़ी सेरी।।
(2) नाभि कमल में बजार मंड़ोणा, हिस्लो री हाट भरी।
हरिजन होय जो करे पारखा, पारख हीरा तड़ी।।
बाज रही वीण मदरी भजन lyrics
(3) गिगन मण्डल में अंदल अखाड़ा, हिरलो री ज्योत जली।
गुप्त स्वरूपी इणमें बाजो बाजे, अणहंद राग सुणी।।
(4) गुरा पीरों रे शरणों में आया, धीरप ध्यान धरी।
भावपुरी प्रताप डुगरपुरी बोले, पायो मैं सबल धणी॥
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(1) पेला पेला देवरे गजानंद सिमरो
(2) मैं थाने सिमरु गजानंद देवा
(5) मनावो साधो गवरी रो पुत्र गणेश
(8) अब मेरी सुरता भजन में लागी
(11) मत कर भोली आत्मा
(14) गिगन में जाए खड़ी प्रश्न उत्तर वाणी
(20) गुरुजी बिना सुता ने कूण जगावे
(21) केसर रल गई गारा में
(22) पार ब्रह्म का पार नहीं पाया
(23) आयो आयो लाभ जन्म शुभ पायो
(24) इण विध हालो गुरुमुखी
(25) आज रे आनंद मारे सतगुरु आया पावणा
(27) गुरु समान दाता जग में है नहीं
(28) बलिहारी गुरुदेव आपने बलिहारी
(29) गुरु बिन घोर अंधेरा
(30) भोली सी दुनिया सतगरु बिन कैसे सरिया
(31) मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो ना कोई
बाज रही वीण मदरी भजन lyrics