बेहद ब्रह्म विचारा भजन lyrics
(सन्त श्री बन्ना नाथ जी की वाणी )
साधो भाई बेहद ब्रह्म विचारा।
रहता आप सकल घट साँई, परसे हरिजन प्यारा॥टेर।।
(1) शब्द स्पर्श रूप रस गन्धा, चित्त मन बुद्धि अहंकारा।
यामै भ्रमें सो जीव कहावे, अगम अखण्ड़ी न्यारा।।
(2) बेहद आप ताप नहिं तिरगुण, निरगुण ब्रह्म अपारा।
हिले चले झिलके छीजे नहीं, सोई पुरूष इकसारा।।
बेहद ब्रह्म विचारा भजन lyrics
(3)भेद कहणे में नाहीं, सो कहणी के बारा।
सदा अकर्त्ता कबहुं न कर्त्ता, ऐसा आतम प्यारा।।
(4) जीयाराम गुरू सैन बताई, सो सोजी सब पारा।
बन्नानाथ निश्चय कर जांणी, भागा भरम अन्धारा।।
बेहद ब्रह्म विचारा भजन lyrics
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(1) पेला पेला देवरे गजानंद सिमरो
(2) मैं थाने सिमरु गजानंद देवा
(5) मनावो साधो गवरी रो पुत्र गणेश
(8) अब मेरी सुरता भजन में लागी
(11) मत कर भोली आत्मा
(14) गिगन में जाए खड़ी प्रश्न उत्तर वाणी
(20) गुरुजी बिना सुता ने कूण जगावे
(21) केसर रल गई गारा में
(22) पार ब्रह्म का पार नहीं पाया
(23) आयो आयो लाभ जन्म शुभ पायो
(24) इण विध हालो गुरुमुखी
(25) आज रे आनंद मारे सतगुरु आया पावणा
(27) गुरु समान दाता जग में है नहीं
(28) बलिहारी गुरुदेव आपने बलिहारी
(29) गुरु बिन घोर अंधेरा
(30) भोली सी दुनिया सतगरु बिन कैसे सरिया
(31) मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो ना कोई