लोक लाज पटकी भजन lyrics

लोक लाज पटकी भजन lyrics

लोक लाज पटकी भजन lyrics
लोक लाज पटकी भजन lyrics

लोक लाज पटकी…

गोविंद सूं प्रीत करत, तब ही क्यूँ न हटकी।
अब तो बात फैल गई, जैसे बीज बटकी ।।

बीच को बिचार नाहीं, छाँह परी तट की।
अब चूको तो और नाहीं, जैसे कला नट की ।।

जब से बुरी गाँठ परी, रसना गुन रटकी।
अब तो छुड़ाय हारी, बहुत बार झटकी ।।

घर-घर में घोल-मठोल, बानी घट-घट की।
सब ही कर सीस धरी, लोक लाज पटकी ।।

लोक लाज पटकी भजन lyrics

मद की हस्ती समान, फिरत प्रेम लटकी ।
दासी मीरा भक्तिबुन्द, हिरदय बिच गटकी ।।

 

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