केसर रल गई गारा में भजन lyrics
सन्त श्री अमर नाथ जी की वाणी
भजन
नुगरा रे मुड़े राम नहीं आवे, केशर रल गई गारा में।।
पापी रे मुड़े राम नहीं आवे, केशर रल गई गारा में।।
मानखो जमारो ऐलोमत खोवो, सुकरत करलो जमारा में ॥ टेर ॥
(1) भैंस पदमणी ने हार पहरायो, वा कोई जाणे हारा में।
ओढ़ न जाणे पहर न जाणे, जनम गमायो गारा में।।
(2) काँच महल में कुती सुलाई, रंग महल सोबारा में।
एक काँच में दोय दोय कुतिया, भुस-भुस मरी जमारा में।।
(3) हीरा ले मूरखा ने दीना, बैठो दलवा सारा ने।
हीरा से गत जौहरी जाणे, कांई खबर गवारा ने।।
(4) शील धर्म आदु मार्ग, दया धर्म तलवारा ने।
अमरनाथ सन्तो रे शरणे, जीत गयो जम द्वारो ने।।
केसर रल गई गारा में भजन lyrics
यह भजन संत अमर नाथ जी महाराज द्वारा रचित उपदेश की वाणी पर आधारित है इस भजन के माध्यम से संत जी बताना चाहते हैं कि नुगरे और पापी लोगो के मुह से परमात्मा का नाम नही निकलता है इस पर अनेकानेक उदाहरण के माध्यम से संत महापुरुष हमे समझा रहे हैं। केसर रल गई गारा में भजन lyrics उन्होंने अपने अनमोल मनुष्य जीवन रूपी केसर को मिटी में मिला दिया है।
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