आध्यात्मिक प्रश्न और उत्तर वेदोक्त ज्ञान जीवन का सार

आध्यात्मिक प्रश्न और उत्तर
♻️प्रश्न- वास्तविक सुख क्या है?
उत्तर- जन्म-मृत्यु के महाकष्ट से सदा के लिए छुटकारा पाकर अमर लोक (सतलोक) में स्थान प्राप्त करना ही वास्तविक सुख है। सतलोक सुखसागर है, वहां जन्म-मृत्यु का कष्ट नहीं है। सतलोक प्राप्ति पूर्ण सन्त से उपदेश लेकर सत्य शास्त्रानुकूल भक्ति करने से संभव होगी। (गीता अ-4 श्लोक-34)
♻️ प्रश्न: मैं कहाँ से आया हूँ?
उत्तर: प्रत्येक मनुष्य की सोच है कि वह कभी वृद्ध ना हो, उसकी कभी मृत्यु ना हो। हमारी ऐसी सोच सतलोक से आयी है। वह हमारा निज स्थान है, अविनाशी स्थान है, वहाँ जरा-मरण का कष्ट नहीं है। हम सब अपनी गलती से सतलोक से इस काल लोक (मृतलोक) में आ गये और जन्म-मरण का महाकष्ट उठा रहे हैं।
♻️ प्रश्न – आत्मा क्या है ?
उत्तर – आत्मा एक तत्व (नूर तत्व) से बनी है जो पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी का अंश है। आत्मा भी कबीर परमेश्वर की तरह अविनाशी गुण युक्त है। इसका वास्तविक नूर 16 सूर्य के प्रकाश तुल्य है। इसको अग्नि, पानी, तलवार इत्यादि से नष्ट नहीं किया जा सकता है। जबकि शरीर पांच तत्वों से बना है। अंत में राख/मिट्टी होकर पांच तत्वों में विलीन हो जाता है।
♻️ प्रश्न – मृत्यु के बाद क्या होता है?
उत्तर – भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात् यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है। तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख,कष्ट व रोग नहीं होता है।
♻️ प्रश्न – हमें पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति क्यों नही होती?
उत्तर – गीता वेद शास्त्रों में प्रमाण है कि तीन गुण अर्थात् रजोगुण ब्रह्मा जी, सतोगुण विष्णु जी, तमोगुण शिवजी तथा देवी-देवताओं और माता की पूजा करने वाले केवल अपने किए कर्म का प्रतिफल पाएंगे लेकिन मोक्ष प्राप्ति नहीं कर सकते। पूर्ण मोक्ष अर्थात् जन्म-मरण से छुटकारा पूर्ण संत की शरण में जाकर सत्य भक्ति करने से मिलता है।
♻️प्रश्न: जीवन में दुःख व कष्ट आने का कारण क्या है ?
उत्तर: मानव जीवन में दुख दो कारण से आते हैं। इस जन्म में किए गलत कर्मों के प्रतिफल में तथा पिछले जन्मों के पाप कर्मों के कारण। तत्वज्ञान प्राप्ति के पश्चात सत् भक्ति करने से दुखों का अंत हो जाता है। यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में प्रमाण है कि परमेश्वर साधक के घोर से घोर पाप नष्ट कर देता है। वह दयालु समर्थ परमेश्वर सिर्फ कबीर (कविर्देव) है जो पापनाशक है।
♻️प्रश्न- दुख का कारण क्या है ? हम दुखी नहीं होना चाहते हैं लेकिन प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी कारण से दुखी रहता है इसका क्या कारण है ?
उत्तर- हमारे दुखों का मूल कारण तत्वज्ञान का अभाव और सतभक्ति का नहीं मिलना है। तत्वज्ञान के अभाव में मनुष्य दुख उठाता है। क्योंकि तत्वज्ञान के अभाव से व्यक्ति सभी तरह की बुराइयां करता है जिस कारण दुखी अशांत और निराश रहता है। साथ में भाग्य में आने वाले दुख संकट भी यथावत आते रहते हैं। तत्वज्ञान प्राप्ति के पश्चात् मानव सुखी हो जाता है क्योंकि वह सभी कर्मों से परिचित होकर बुराइयों से दूर रहकर सत्य भक्ति करता है। परमात्मा उस साधक के प्रारब्ध(भाग्य) में आने वाले संकटों कष्टों को टाल देते हैं।
♻️ प्रश्न- मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर- शास्त्रों में बताया है मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति है। सांसारिक कार्य जो हम करते हैं वह तो पशु-पक्षी भी करते हैं। मानव जीवन जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा पाने के लिए मिलता है। तत्वदर्शी सन्त से उपदेश लेकर सत्य भक्ति करने से मोक्ष संभव है।
♻️ जन्म-मृत्यु का चक्र वह परमात्मा कौन है जो जन्म और मृत्यु से छुटकारा दिला कर अमर कर देता है?
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है। सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
♻️ असली सुख कहां है?
जिस प्रकार मनोज बाजपाये जी आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें असली सुख सतलोक में है जहां जन्म-मृत्यु नहीं है।
♻️जन्म-मरण का चक्र क्या है ?
जन्म-मरण के चक्र के अंतर्गत यह जीव जब तक पूर्ण संत से नाम उपदेश लेकर सतभक्ति करके मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेगा तब तक जीव को इस रोग से मुक्ति नहीं मिल सकती।
और पूर्ण संत की पहचान गीता जी के अध्याय15 के श्लोक 1 से 4 में बताई गयी है। वह पूर्ण संत रामपाल जी महाराज ही हैं। अवश्य देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे।
♻️ मृत्यु क्यों होती है?आध्यात्मिक प्रश्न और उत्तर
हम काल के लोक में फंसे हुए हैंऔर ये लोक नाशवान है।
इसी कारण हमारी जन्म मृत्यु होती है।अविनाशी परमात्मा कबीर जी हैं और अविनाशी लोक सतलोक है
जहां पर जन्म-मृत्यु नहीं है।अधिक जानकारी के लिए
Satlok ashram YouTube channel पर visit करें।आध्यात्मिक प्रश्न और उत्तर
♻️ क्या आपके आध्यात्मिक गुरु संत पूर्ण हैं?
आपने चर्चा के दौरान अपने आध्यात्मिक गुरु की बात की। यदि आपके आध्यात्मिक गुरु पूर्ण संत नहीं हैं तो उनकी शरण में रहकर आप जन्म और मरण के रोग से मुक्ति नहीं पा सकते।
♻️ क्या आप एक महत्वाकांक्षी इंसान हैं?
महत्वाकांक्षाएं जन्म और मरण के रोग से छुटकारा पाने में सबसे बड़ी बाधक होती हैं। अगर आप इस जन्म और मृत्यु के रोग से छुटकारा चाहते हैं तो पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आएं। केवल वही अनावश्यक इच्छाओं को मिटाकर आपको मोक्ष की राह दिखाएंगे।
♻️आध्यात्मिक होने की क्या पहचान है ?
किसी की मृत्यु देखकर जन्म और मरण के रोग को समझने की इच्छा पैदा होना यह सब पिछले पुण्य कर्मों के कारण ही है। लेकिन अगर आपने पूर्ण संत सतगुरु रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण नहीं की तो 84 लाख योनियों के चक्कर में जाना निश्चित है। क्योंकि वर्तमान में सिर्फ वही एक पूर्ण संत हैं जो जन्म-मरण के रोग से छुटकारा दिला सकते हैं।
प्रश्न :- जन्म और मृत्यु के चक्र से कैसे बचा जा सकता है ? उत्तर :- जन्म और मृत्यु के चक्र से बचने के लिए सबसे पहले पूर्ण गुरु/पूर्ण संत की आवश्यकता होती है। उनके बताए गए शास्त्र अनुकूल भक्ति मार्ग का पालन करने से जन्म और मृत्यु के रोग से सदा के लिए मुक्त हो सकते हैं। वर्तमान में पृथ्वी पर पूर्ण संत के रूप में संत रामपाल जी महाराज जी विद्यमान हैं।