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बंशी कविराय की कुंडलियां । गुरु गीता रामनाम एवं सतसंग महिमा

गुरु गीता – प्रारम्भ बंशी कविराय की कुंडलियां गनपति सुरपति गजवदन आदिदेव इकदन्त ।जाके सुमिरण मात्रसे सुधरे काज अनन्त ॥सुधरे

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