Do Mitra Bhakton Ki Katha Bhaktmal Dvara Rachit Kathaen
‘जिसके ललाटपर (भाग्यमें) मृत्यु-ये दो अक्षर (निश्चित मरण) लिखे हैं, वह समस्त क्लेश देनेवाले पाप कैसे करता है। कुरुक्षेत्रमें एक […]
‘जिसके ललाटपर (भाग्यमें) मृत्यु-ये दो अक्षर (निश्चित मरण) लिखे हैं, वह समस्त क्लेश देनेवाले पाप कैसे करता है। कुरुक्षेत्रमें एक […]
Mahrishi Mudgal Ki Katha महर्षि मुद्गल मुद्गल नामक ऋषि कुरुक्षेत्रमें रहते थे। ये बड़े धर्मात्मा, जितेन्द्रिय, भगवद्भक्त एवं सत्यवक्ता थे।
Mahrishi Sharbhang Ki Katha महर्षि शरभङ्ग तपोभूमि दण्डकारण्य-क्षेत्रमें अनेकानेक ऊर्ध्वरेता ब्रह्मवादी ऋषियोंने घोर तपस्याएँ की हैं। कठिन योगाभ्यास एवं प्राणायामादि
Sutikshna Muni Ki Katha सुतीक्ष्ण मुनि राम सदा सेवक रुचि राखी। बेद पुरान संत सब साखी॥ महर्षि अगस्त्यके शिष्य सुतीक्ष्णजी
Bhakt Pundrik Ki Katha भक्त पुण्डरीक स्मरण करनेपर, सन्तुष्ट करनेपर, पूजा करनेपर भगवान्का भक्त अनायास ही चाण्डालतकको भी पवित्र कर
Bhakt Bhadratanu Or Unke Guru Daant भक्त भद्रतनु और उनके गुरु दान्त प्राचीन समयमें पुरुषोत्तमपुरीमें एक ब्राह्मण रहता था। उसका
Mahrishi Dadhichi Ki Katha महर्षि दधीचि देवराज इन्द्रने प्रतिज्ञा कर ली थी कि ‘जो कोई अश्विनीकुमारोंको ब्रह्मविद्याका उपदेश करेगा, उसका
मुनि उत्तंक की कथा भक्त मुनि उत्तंक सठ सुधरहिं सत संगति पाई पारस परस कुधातु सुहाई॥ सौवीर नगरमें एक सुन्दर
Aaranyak Muni Ki Katha आरण्यक मुनि राम नाम बिनु गिरा न सोहा। देखु बिचारि त्यागि मद मोहा॥ त्रेतायुगमें भगवान् श्रीरामका
Kandu Muni Ki Katha कण्डु मुनि प्राचीन कालमें कण्डु नामक एक मुनि गोमती नदीके तीरपर एकान्त स्थानमें तपस्या करते थे।